Investment पर बेहतरीन विचार:-

दुनिया के जाने माने निवेशकों (Investors) के विचार –
“अगर आप किसी स्टॉक को 10 साल के लिए रखने के लिए तैयार नहीं हैं, तो 10 मिनट के लिए भी उसे रखने के बारे में न सोचें।” – वारेन बफेट
मान लीजिए, एक किसान ने अपनी ज़मीन पर एक पौधा लगाया है, जैसे आम का पेड़। वह जानता है कि इस पेड़ से अच्छे फल पाने में 5-10 साल लग सकते हैं। अगर वह पेड़ को केवल कुछ महीने देखे और फिर निराश हो जाए, तो उसे हटाने का फैसला कर ले, तो यह गलत होगा।किसान को यह समझना होगा कि अगर उसने इसे लंबे समय तक अच्छे से पोषित किया और देखभाल की, तो आने वाले सालों में उसे अच्छे फल मिलेंगे। यदि वह जल्दबाजी में फैसला करता है, तो उसे कोई लाभ नहीं होगा। इसलिए उसे इसे long term दृष्टिकोण से देखना चाहिए।
उदाहरण से समझिए –
अब एक investor को लें, जिसने Infosys के स्टॉक्स में investment किया है। वह जानता है कि इस तरह की बड़ी कंपनियां लंबी अवधि में अच्छा मुनाफा देती हैं, लेकिन short term में इनके स्टॉक्स में उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। मान लीजिए कि कुछ महीनों बाद Infosys के स्टॉक्स में गिरावट आई और investor परेशान हो जाता है। लेकिन, यदि वह 10 साल के लिए अपने investment पर टिके रहता है, तो उसे इसके लाभ के रूप में बढ़ी हुई Stock Price और dividends मिलता है। कुल मिलाकर अगर investor इस स्टॉक को 10 साल तक रखने के लिए तैयार नहीं था, तो उसे कुछ महीने में ही स्टॉक बेच देने का मन बना सकता था, लेकिन long term दृष्टिकोण ने उसे सफलता दिलाई।
Amazon के स्टॉक्स को देखें। जब Amazon के शेयर का मूल्य (Value) कुछ सौ डॉलर था, तब कई investors ने इसे बहुत बड़े मुनाफे के रूप में देखा। लेकिन उस समय कई लोग इसे जल्द ही बेचने के बारे में सोच रहे थे क्योंकि यह कुछ समय में बहुत तेजी से नहीं बढ़ रहा था।जो लोग Amazon के स्टॉक्स को 10 साल तक अपने पास रखते रहे, उन्हें बाद में इसकी कीमत (Price) में बहुत बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली। उन्होंने यह समझा कि long term investment ही असली लाभ देता है।
अगर आप किसी स्टॉक को 10 साल के लिए रखने के लिए तैयार नहीं हैं, तो 10 मिनट के लिए भी उसे रखने के बारे में न सोचें।” का मतलब यह है कि अगर आप किसी investment को लंबे समय तक रखने के लिए तैयार नहीं हैं, तो इसे शॉर्ट-टर्म के हिसाब से देखने की बजाय छोड़ देना बेहतर है। एक अच्छे investment का मूल्य (Value) लंबे समय में ही उभर कर आता है।
“investment को पेंट सूखने या घास बढ़ने को देखने जैसा होना चाहिए। अगर आपको उत्साह चाहिए, तो 800 डॉलर लेकर लास वेगास जाइए।” – पॉल सैमुअलसन
investment धीमी प्रक्रिया है, इसे एक लंबी दौड़ की तरह समझें, जैसे Berkshire Hathaway के investors ने दशकों तक इसे सही समय पर छोड़ा।
मान लीजिए एक किसान अपने खेत में बीज बोता है। उसे पता है कि एक दिन में बीज उगने या पौधा बढ़ने का कोई चमत्कारी परिणाम नहीं आएगा। वह रोज़ खेत में मेहनत करता है, पानी देता है, लेकिन उसे तुरंत कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखता। यही प्रक्रिया investment में भी होती है — आपको रोज़ की उठापटक या छोटे उतार-चढ़ाव से घबराना नहीं चाहिए। आपको सही कंपनी में investment करना चाहिए और उसे समय देना चाहिए।
पॉल सैमुअलसन का ये वाक्य बहुत गहरी बात कहता है। वह हमें यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि investment का सही तरीका वह है जिसमें धैर्य और सोच-समझकर किया गया काम हो। किसी भी investment के साथ जो सबसे बड़ी बात हमें समझनी चाहिए, वह यह है कि लाभ तुरंत नहीं मिलता। सोचिए, अगर आप हर दिन अपने लगाए गए बीजों को खोदकर देखने लगें कि घास कितनी बढ़ी, तो आप कभी भी अच्छी फसल नहीं पा सकेंगे। इसी तरह, investment को भी समय देना पड़ता है। अगर आप हर उतार-चढ़ाव से घबराकर अपने investment को बार-बार बदलते रहेंगे, तो कभी भी फायदे में नहीं रह पाएंगे। सही investment वही है, जो समय के साथ बढ़े।
मान लीजिए, आपने 2010 में अमेज़न के स्टॉक्स में investment किया। उस वक्त अमेज़न का स्टॉक बहुत महंगा नहीं था, लेकिन जिसने इसे खरीद लिया और उसे समय दिया, उसे आज जबरदस्त रिटर्न मिला है। अब, अगर किसी ने सोचा होता कि “अब क्या करेंगे, बाजार तो नीचे जा रहा है”, और अपने स्टॉक्स को बेच दिया होता, तो उसे कभी भी वह फायदा नहीं मिलता। पॉल सैमुअलसन के इस उद्धरण का मतलब है कि investment को सिर्फ एक खेल की तरह मत देखो, जिसमें तुरंत परिणाम चाहिए। यह एक लंबी यात्रा है, जिसमें धैर्य और समझ से कदम बढ़ाने चाहिए। तभी आप सही मक्सद को पा सकते हैं।
“यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आप सही हैं या गलत, बल्कि यह है कि जब आप सही होते हैं तो आप कितना पैसा कमाते हैं और जब आप गलत होते हैं तो आप कितना खोते हैं।” – जॉर्ज सोरोस
उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए आपने एक शानदार रेस्तरां में investment किया था, जो अचानक से लोगों की नज़रों से ओझल हो गया, क्योंकि वह रेस्तरां लोगों की पसंद के हिसाब से नहीं चल रहा था। अगर आप अधिक पैसे लगा देते, तो नुकसान भी ज्यादा होता। लेकिन अगर आपने धीरे-धीरे investment किया और नुकसान को सीमित रखा, तो नुकसान कम होगा।
मान लीजिए एक गांव में दो दोस्त हैं, रामु और श्यामु। दोनों खेतों में अलग-अलग तरह की फसलें उगाते हैं। रामु ने अपने खेत में गेंहू उगाने का फैसला किया, जबकि श्यामु ने मक्का उगाने का। रामु ने सही समय पर बीज बोए, और मौसम भी सही रहा, तो उसकी फसल बहुत बढ़िया हुई और उसे अच्छा मुनाफा मिला। वहीं श्यामु ने मक्का के बीज बोने में थोड़ा देर कर दिया और मौसम ने साथ नहीं दिया, तो उसकी फसल कम हुई। लेकिन श्यामु ने फसल का नुकसान कम करने के लिए पहले से ही एक प्लान बना लिया था। उसने थोड़े से खेत में मक्का बोया था, ताकि अगर कुछ गलत होता है तो उसका नुकसान बहुत ज्यादा न हो। उसकी फसल की हालत खराब होने पर उसने नुकसान को कम किया, और भविष्य के लिए अपना धैर्य बनाए रखा। investment में रामु जैसे investor जो सही समय पर investment करता है, उसे अच्छा मुनाफा मिलता है। श्यामु जैसे investor जो जोखिम का ध्यान रखते हुए investment करता है, अगर कुछ गलत हो जाए तो उसे कम नुकसान होता है।
जॉर्ज सोरोस का यह कथन इस बात पर जोर देता है कि investment में सही या गलत होने से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि आप अपनी जीत को अधिकतम और हार को न्यूनतम कैसे कर सकते हैं। इसका मतलब यह है कि:जब आप सही हों, तो अधिकतम लाभ कमाएं। जब आप गलत हों, तो जल्दी नुकसान को रोकें और आगे बढ़ें।
मान लीजिए कि आपने ₹1,000 के भाव पर किसी स्टॉक को खरीदा, लेकिन वह गिरकर ₹900 तक आ गया। यदि आपने स्टॉप-लॉस ₹950 पर सेट किया होता, तो आपको केवल ₹50 का नुकसान होता, न कि ₹100 रूपये
अपने निवेश में डाइवर्सिफिकेशन लाएं सारे पैसे एक जगह न लगाए अगर किसी investor ने 2020 में सिर्फ एयरलाइंस सेक्टर में investment किया, तो कोविड-19 के कारण उसे बहुत बड़ा नुकसान हुआ लेकिन जिसने IT, फार्मा और टेक सेक्टर में भी investment किया, उसे फायदा हुआ। एक ही जगह पैसा लगाने के बजाय, अलग-अलग सेक्टरों में investment करें ताकि एक में नुकसान हो, तो दूसरे में मुनाफा मिले। सही investment रणनीति यह नहीं है कि आप कितनी बार सही या गलत होते हैं, बल्कि यह है कि जब आप सही हों तो ज्यादा से ज्यादा कमाएं और जब गलत हों तो जल्दी बाहर निकल जाएं।
स्टॉप-लॉस लगाना, सही समय पर खरीदना-बेचना, विविधता लाना और लॉन्ग-टर्म सोच रखना यही स्मार्ट investor की पहचान है।
“यह बहुत बेहतर है कि आप एक शानदार कंपनी को उचित मूल्य (Value) पर खरीदें, बजाय इसके कि आप एक सामान्य कंपनी को शानदार मूल्य (Value) पर खरीदें।” – वारेन बफेट
मान लीजिए दो दुकानदार हैं। पहला दुकानदार बहुत अच्छा और प्रसिद्ध है, उसका सामान हमेशा बेहतरीन गुणवत्ता का होता है, और लोग उससे संतुष्ट रहते हैं। दूसरा दुकानदार सामान सस्ते में बेचता है, लेकिन उसका सामान अक्सर खराब होता है और लोग उसमें ज्यादा रुचि नहीं दिखाते। अब, अगर आप दुकान पर जाकर खरीदारी करते हैं, तो क्या आप पहले दुकानदार से थोड़ा महंगा सामान खरीदेंगे, या दूसरे दुकानदार से सस्ता, लेकिन खराब सामान लेंगे? समझदारी यह है कि आप पहले दुकानदार से थोड़े ज्यादा पैसे देकर अच्छा सामान खरीदें, क्योंकि आपको उसके सामान की गुणवत्ता पर भरोसा है और वह लंबे समय तक काम करेगा।
वारेन बफेट का यह कथन यह समझाने के लिए है कि एक बेहतरीन चीज़ को सही कीमत पर खरीदना ज्यादा फायदेमंद होता है, बजाय इसके कि किसी साधारण चीज़ के लिए बहुत ज्यादा पैसा दिया जाए। इसे हम तीन अलग-अलग उदाहरणों से समझते हैं
रवि और अमित, दोनों नई कार खरीदना चाहते हैं।
- रवि को एक पुरानी और साधारण कंपनी की कार दिखती है, लेकिन सेल्समैन उसे इतने फायदे गिना देता है कि वह 20 लाख रुपये में एक साधारण कार खरीद लेता है। कुछ सालों बाद, उसे पता चलता है कि कार की रीसेल वैल्यू बहुत कम है और बार-बार रिपेयर में पैसा लग रहा है।
- अमित थोड़ा रिसर्च करता है और उसी कीमत में एक बेहतरीन ब्रांड की कार खरीदता है, जो माइलेज, सेफ्टी और क्वालिटी में बेहतर है। कुछ साल बाद, उसकी कार की रीसेल वैल्यू भी अच्छी रहती है।
रवि ने एक सामान्य कार के लिए शानदार कीमत चुकाई (गलत फैसला), जबकि अमित ने शानदार कार को उचित कीमत पर खरीदा (स्मार्ट इन्वेस्टमेंट)
गाँव में दो लोग जमीन खरीद रहे हैं।
- रामलाल को एक बहुत सस्ती जमीन मिलती है, लेकिन वह बंजर होती है, सिंचाई की सुविधा नहीं होती और उसका कोई भविष्य में उपयोग नहीं दिखता। वह सिर्फ कम कीमत देखकर खरीद लेता है।
- श्यामलाल थोड़ा महंगी लेकिन उपजाऊ और अच्छी लोकेशन वाली जमीन खरीदता है। यह जमीन कुछ ही सालों में दोगुनी कीमत की हो जाती है, क्योंकि वहाँ विकास शुरू हो जाता है।
रामलाल ने बेकार जमीन को सस्ते में खरीदा (सामान्य चीज़ को शानदार कीमत पर), जबकि श्यामलाल ने बेहतरीन जमीन को उचित कीमत पर खरीदा (सही फैसला)।
TATA vs. सस्ती पंप एंड डंप कंपनी
- रवि को किसी ने कहा कि “XYZ कंपनी का शेयर बहुत सस्ता मिल रहा है, जल्दी खरीद ले!” उसने बिना सोचे-समझे एक साधारण कंपनी के शेयर शानदार कीमत (महंगे रेट) पर खरीद लिए। कुछ समय बाद कंपनी का स्टॉक गिर जाता है, और उसका पैसा डूब जाता है।
- अमित ने समझदारी दिखाई और TATA, HDFC, या Infosys जैसी शानदार कंपनियों में निवेश किया, भले ही ये शेयर थोड़े महंगे थे, लेकिन उनके Business Model मजबूत थे। कुछ सालों में उसका पैसा कई गुना बढ़ गया।
रवि ने सामान्य कंपनी के लिए शानदार कीमत चुकाई और घाटा खाया, जबकि अमित ने शानदार कंपनी को उचित कीमत पर खरीदा और मुनाफा कमाया!
सिर्फ कम कीमत देखकर न खरीदें, असली गुणवत्ता को समझें। बेहतरीन चीज़ को उचित दाम पर लेना ज्यादा फायदेमंद होता है, बजाय इसके कि किसी साधारण चीज़ के लिए शानदार कीमत दी जाए। स्टॉक हो, जमीन हो, या कोई और चीज़—हमेशा लॉन्ग-टर्म ग्रोथ और क्वालिटी को प्राथमिकता दें।
“कभी भी किसी ऐसे व्यवसाय में investment न करें जिसे आप समझ नहीं सकते।” – वारेन बफेट
किसी भी कंपनी में investment करने से पहले, उसके कामकाज और रणनीति को पूरी तरह से समझना जरूरी है। अगर आपको उसका मॉडल समझ में नहीं आता, तो उसमें investment करने से बचें।
मान लीजिए, एक किसान है जो पूरी तरह से कृषि में अनुभव रखता है। उसे खेती, बागवानी और पशुपालन के बारे में अच्छी जानकारी है। एक दिन एक मित्र उसे बायो-फ्यूल (जैविक ईंधन) बनाने वाले कारोबार में investment करने के लिए कहता है। यह व्यवसाय नया है, और किसान को इसकी प्रक्रिया और मार्केट की पूरी समझ नहीं है। वह सोचता है कि इस व्यवसाय को समझे बिना investment करना जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि उसे इसके भविष्य और मार्केट की स्थिति का कोई अंदाजा नहीं है। इसके बजाय, वह अपनी मेहनत से खेती और पशुपालन में investment करता है, क्योंकि यह क्षेत्र उसे अच्छी तरह से समझ आता है। कुल मिलाकर:
किसान ने यह समझदारी दिखाई कि जब तक वह किसी व्यवसाय को पूरी तरह से नहीं समझता, तब तक उसमें investment नहीं करना चाहिए। इससे उसने जोखिम से बचने में सफलता पाई।
मान लीजिए, एक निवेशक (इन्वेस्टर) Cryptocurrency जैसे बिटकॉइन में investment करने की सोचता है। हालांकि, उसे क्रिप्टोकरंसी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, और उसे यह समझ में नहीं आता कि यह कैसे काम करता है और इसमें कितने जोखिम हो सकते हैं। वह इस बारे में थोड़ा रिसर्च करता है, लेकिन फिर भी वह इस investment को पूरी तरह से समझ नहीं पाता। इसके बजाय, वह अपनी पूंजी को अच्छे से समझे गए क्षेत्रों जैसे कि Reliance Industries या HDFC Bank जैसे स्टॉक्स में investment करता है, जिनके बारे में उसे पूरी जानकारी है।कुल मिलाकर वह investor यह समझता है कि बिना पूरी जानकारी के किसी व्यवसाय में investment करना जोखिम भरा हो सकता है, इसलिए वह अपना पैसा उन stocks में लगाता है जिनमें उसे अनुभव और समझ है।
Zomato और Paytm जैसे स्टॉक्स को लें। जब Zomato और Paytm के शेयर IPO के दौरान आए थे, तो बहुत से investor ने इन्हें खरीदा क्योंकि इन कंपनियों का नाम बड़े थे, लेकिन वे इसके व्यवसाय मॉडल और भविष्य के बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते थे। उदाहरण के तौर पर, Paytm के स्टॉक के मूल्य (Value) में शुरुआती दिनों में काफी गिरावट आई। जिन्होंने इसे ठीक से समझे बिना investment किया था, उन investors के लिए यह एक बड़ा जोखिम बन गया। वे बस यह मान बैठे थे कि यह एक बड़ी कंपनी है और इसमें पैसा लगाना सही है। जो investor इन कंपनियों के मॉडल और उनके विकास के संभावित रास्ते को अच्छी तरह से समझते थे, उन्होंने धैर्य रखा और फिर अच्छे रिटर्न पाए।
